लेखनी प्रतियोगिता -04-Oct-2022... ये बेटी है साहब...
कोख़ में आते ही ताने सुनाए जातें हैं...
बेटी आएगी... चिंता बढ़ाएगी....
गिरा दो... निकाल दो..
बिन मांगी सलाह दी जाती हैं....।। ये बेटी है साहब....
ग़र गलती से पैदा हो गई...
तो कभी नालों में..
कभी डस्टबिन में..
तो कभी कुत्तों को सौंपी जाती हैं.।। ये बेटी है साहब....
हर तरफ़ हाहाकार हैं..
बेटी के जन्म पर पसरा मातम है..
कर्मों पर रोना, भाग्य को कोसना..
हर तरफ आंसू और चित्कार हैं..। ये बेटी है साहब...
अपने ही घर में हमेशा
उसे याद दिलाया जाता हैं..
पराया धन हैं.. बेटियां बोझ हैं..
अपने ही लोगों को वजूद मिटाते देखा हैं...। ये बेटी है साहब....
देखा हैं मैने बड़े गौऱ से ये आलम...
बेटी के जन्म पर छाती पीट जो रोते है..
नवरात्रों पर वो ही उनके पैर धुलाते हैं..।
कोख में बेटियों की हत्या करने वाले भी..
माँ दुर्गा और काली की आराधना करते हैं...। ये बेटी है साहब.....
बेटी पढ़ाओ... बेटी बचाओ.
सिर्फ अखबारी नारा है..
वो बोझ थीं.... बोझ हैं.. बोझ रहेगी..
उसके बोझ से हर बाप के कंधे झुकते देखा हैं....। ये बेटी है साहब...
कभी जलाई जाएगी.... कभी सताई जाएगी..
इस दहेज रुपी रावण को
हर रोज एक भली दी जाएगी..। ये बेटी है साहब...
ये पहनों. ये मत पहनो...
यहाँ जाओ.. वहा मत जाओ..
जल्दी आना... हाथ बंटाना...
फरमान ये रोज़ सुनाए जातें हैं...। ये बेटी है साहब...
ना हक़ मांगे.. ना हिस्सेदारी..
फिर भी नजरों में खटकती है...
ये बेटी हैं साहब... बेटी ही रहेगी..
लाख बदले दुनिया.... बेटा ना बन पाएगी.....
बेटा ना बन पाएगी....।।
Khan
06-Oct-2022 11:58 PM
Bahut khoob 🙏
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आँचल सोनी 'हिया'
05-Oct-2022 11:35 PM
Bahut hi khoobsurat rachna 👍🌹
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Gunjan Kamal
05-Oct-2022 06:32 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌
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